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लोकहित में जर्जर मकान को हटाना न्यायोचित: न्यायालय

इंदौर, 02 जुलाई (वार्ता) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने आज विवादित जर्जर मकान तोड़े जाने की निगम की कार्यवाही को चुनौती देती याचिका की सुनवाई करते हुये माना कि भविष्य में होने वाली किसी बड़ी दुर्घटना के मद्देनजर व्यापक लोकहित में जर्जर मकान को हटाया जाना न्यायोचित है।
याचिकाकर्ता भेरूलाल के अधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव के अनुसार याची नगर निगम रोड स्थित एक बहुमंजिला मकान में वर्षो से किरायेदार के रूप में निवास करता है। नगर निगम ने याची के मकान को जर्जर घोषित कर उसे तोड़ने का बीती 26 जून से प्रयास कर रहा है। निगम की मकान तोड़ने की प्रस्तावित कार्यवाही को नियमों के खिलाफ बताते हुये अदालत में चुनौती दी गयी थी। जिस पर आज न्यायाधीश रोहित आर्य ने सुनवाई करते हुये आदेश दिया है कि प्रस्तावित कार्यवाही व्यापक लोकहित में है मलसन मकान को गिराए जाने के मामले में अदालत हस्तक्षेप नहीं करेगी।
साथ ही अदालत ने निगम को आदेश दिया है कि पीड़ित किरायेदार को अचानक उसके घर से बेदखल करना भी न्यायसंगत नहीं है। लिहाजा पीड़ित किरायेदार को आगामी दो दिनों में किसी अन्यत्र मकान में तीन माह के लिये अस्थायी तौर पर स्थान्तरित किया जाये। अदालत ने वैकल्पिक मकान में प्रकाश, पानी और स्वच्छता की दुरुस्त व्यवस्था किये जाने पर जोर दिया है। अदालत ने जर्जर मकान हटाने की कार्यवाहीं करने हेतु निगम को आदेशित किया।
बीते 26 जून को मकान हटाने गये निगम अमले के साथ भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय द्वारा मारपीट किये जाने का मामला सामने आया था। जिसके बाद लगातार निगम की मकान हटाने की कार्यवाही आगे बढ़ती रहीं थी। अदालत के आदेश के बाद अब निगम कार्यवाही का रास्ता एक तरह से साफ़ हो गया है।
सं बघेल
वार्ता
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