राज्य » मध्य प्रदेश / छत्तीसगढ़Posted at: Dec 27 2019 11:37PM भारतीय दर्शन और संस्कृति को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति दिलाएगा हिन्दी विश्वविद्यालय: टंडनभोपाल, 27 दिसम्बर (वार्ता) मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने आज अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय के आठवें स्थापना दिवस कार्यक्रम में 'अटल स्मृति व्याख्यान'' में कहा कि यह विश्वविद्यालय भारतीय दर्शन और संस्कृति को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति दिलाएगा। श्री टंडन ने राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने हिन्दी के पुरोधा भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व और कृतित्व का उल्लेख करते हुए कहा कि समभाव के साथ जीवन-पथ पर चलना उनका व्यक्तित्व था। उन्होंने दार्शनिक जैसी गंभीरता के साथ राजधर्म का पालन किया। उनके 4 दशकों के भाषण के संकलन में कठोर से कठोर आलोचक के लिए एक भी अनुचित शब्द नहीं मिलता है। अटलजी में चिंतन की गंभीरता थी, तो सहज हास्य भी उनके व्यक्तित्व में समाहित था।केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने कहा कि अटलजी राजनीति के अजातशत्रु थे। उनके चिंतन में सारा विश्व समाया था। वे कहते थे कि दुनिया की सुख-शांति का रास्ता भारत से निकलता है। इसलिये भारत का मजबूत होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हिन्दी, हिन्दुस्तान की आत्मा और स्वाभिमान है। इसका गौरव पूरी दुनिया के सामने लाने का श्रेय अटलजी को है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया की उत्सुकता हिन्दी को अपनाने की ओर बढ़ रही है। अभी विश्व के 450 देशों में हिन्दी पढ़ाई जाती है। केन्द्रीय मंत्री ने आश्वस्त किया कि अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय को अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप दिया जाएगा।प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने कहा कि विरोधी विचारधाराओं के प्रति भी उदारता श्री अटल बिहारी वाजपेयी के अद्भुत व्यक्तित्व की पहचान थी। वे कुछ शब्दों में बड़ी-बड़ी बातें कह देते थे। उन्होंने कहा कि अटलजी के शब्द 'हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा'' उनके जीवन-पथ का दिशा-दर्शन था।अटल स्मृति व्याख्यान के मुख्य वक्ता कपिल कपूर ने कहा कि अटलजी भारत को केवल भूमि का एक टुकड़ा नहीं मानते थे, उनके लिये यह श्रद्धा का केन्द्र था। अटलजी के विचारों में भारत देश योग की भूमि है और इसकी सभ्यता ज्ञान-परम्परा पर आधारित है।नागवार्ता