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18000 उपनल कर्मचारियों को एक साल में नियमित करने का आदेश

नैनीताल 12 नवंबर (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने महत्वूपर्ण निर्णय में उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम (उपनल) के तहत काम करने वाले 18000 संविदा कर्मचारियों को राहत देते हुए सरकार एक साल के अंदर चरणबद्ध तरीके से सभी कर्मचारियों को विनियतितीकरण का लाभ देने का सोमवार को आदेश दिया।
न्यायालय ने सरकार को उपनल कर्मचारियों को मिलने वाले शेष राशि का भुगतान महंगाई भत्ते के साथ छह माह के अंदर करने को सुनिश्चित करने को कहा है। न्यायालय ने कहा कि सरकार उपनल कर्मचारियों को मिलने वाले मानदेय से जीएसटी और सेवा कर के रूप में किसी प्रकार की कटौती भी न करे। कोर्ट के इस आदेश से राज्य में तैनात 18 हजार 71 उपनल कर्मचारी लाभान्वित हो सकेंगे।
वरिष्ठ न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की युगल पीठ ने यह महत्वपूर्ण आदेश उत्तराखंड उपनल संविदा कर्मचारी संघ की ओर से पेश प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के बाद दिया है। संघ के महासचिव की ओर से कहा गया था कि सरकार द्वारा उपनल कर्मचारियों का शोषण किया जा रहा है तथा उन्हें मात्र 8400 रुपये बतौर मानदेय दिया जाता है और सरकार की ओर से से उनको मिलने वाले मानदेय से 18 प्रतिशत जीएसटी और 2.5 प्रतिशत सेवा कर के रूप में कटौती कर दी जाती है।
संघ की ओर से आगे कहा गया कि वे अन्य समकक्ष कर्मचारियों के समान कार्य का निष्पादन करते हैं। सरकार ने उनके मानदेय में मामूली वृद्धि की है। इसके बाद कोर्ट ने 29 अगस्त को एक आदेश जारी कर सरकार से पूछा था कि इन कर्मचारियों को विनियमित करने के लिये सरकार के पास कोई नीति है। सरकार की ओर से पेश हलफनामें में कहा गया कि उपनल कर्मचारियों के मानदेय में गत 10 मई को वृद्धि की गयी है।
सरकार की ओर से न्यायालय को बताया गया कि उपनल कर्मचारियों को नियमित करने के लिये सरकार के पास कोई नीति या योजना मौजूद नहीं है। सरकार की ओर से आगे कहा गया कि उपनल कर्मचारियों के मामले में 20 सितंबर को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में विचार किया गया था। इस दौरान निर्णय लिया गया कि उपनल कर्मचारी उच्चतम न्यायालय के उमा देवी मामले में दिये गये आदेश से अलग हैं और इसलिये उन्हें नियमित नहीं किया जा सकता हैं।
मामले को सुनने के बाद न्यायालय ने कहा कि सरकार ने इस मामले में उमा देवी प्रकरण में दिये गये उच्चतम न्यायालय के आदेश का गलत उत्तर पेश किया है जबकि सरकार ने राज्य में विनियमितीकरण नियमावली योजना के तहत समय-समय पर कर्मचारियों को विनियमित किया है।
रवीन्द्र.संजय
वार्ता
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