नैनीताल 06 मार्च (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने गंगा नदी एवं गंगा जल की पवित्रता बनाये रखने के लिये सरकार को समुचित कदम उठाने को कहा है। साथ ही अदालत ने गंगा की अविरलता के संबंध में कोई निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति नारायण सिंह धनिक की युगलपीठ ने गंगा एवं यमुना नदी में बढ़ रहे प्रदूषण से संबंधित अजय गौतम की जनहित याचिका का निस्तारण किया। इससे पहले केन्द्र सरकार की ओर से अदालत में जवाब पेश किया गया। सरकार की ओर से कहा गया कि गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिये सरकार पर्याप्त कदम उठा रही है।
केन्द्र सरकार के अधिवक्ता संजय भट्ट ने कहा कि केन्द्र सरकार की ओर से गंगा के उद्गम से लेकर हरिद्वार तक कई बड़े कदम उठाये जा रहे हैं। हरिद्वार, ऋषिकेश, मुनि की रेती, तपोवन, देवप्रयाग, कीर्तिनगर, श्रीनगर, रूद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, नंद्रप्रयाग, गोपेश्वर (चमोली), जोशीमठ, बदरीनाथ, उत्तरकाशी एवं गौचर में सीवर शोधन संयंत्र लगाये जा रहे हैं। केन्द्र सरकार के इस कदम से कोर्ट ने संतुष्टि जाहिर की।
यह जानकारी न्यायमित्र अधिवक्ता अजयवीर पुंडीर ने दी। श्री पुंडीर ने बताया कि कोर्ट ने कहा कि यमुना नदी में बढ़ रहे प्रदूषण के मामले में उत्तराखंड उच्च न्यायालय कोई निर्देश जारी करने में सक्षम नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि गंगा नदी की अविरलता एवं अविरल प्रवाह के बारे में कोर्ट को विशेज्ञता नहीं है। इसलिये कोर्ट इस संबंध में कोई निर्देश देने में सक्षम नहीं है।
न्यायमित्र अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि गंगा नदी पर दो बड़े बांध बनाये जाने से गंगा का प्रवाह बाधित हुआ है। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि गंगा नदी पर बांध बनाये जाने से बिजली, सिंचाई एवं पेयजल जैसे मूलभूत जरूरतों की आपूर्ति हो रही है।
इसके बाद कोर्ट ने सरकार को कहा कि करोड़ों हिन्दुओं की आस्था का केन्द्र गंगा नदी की पवित्रता को बनाये रखने के लिये वह समुचित कदम उठाये। इसके साथ कोर्ट ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया।
उल्लेखनीय है कि गाजियाबाद निवासी अजय गौतम ने उच्च न्यायालय को एक पत्र भेजकर गंगा एवं यमुना नदी के बढ़ रहे प्रदूषण पर चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने पत्र में लिखा था कि गंगा एवं यमुना नदी करोड़ों हिन्दुओं की आस्था का केन्द्र हैं। गंगा एवं यमुना का पानी बेहद प्रदूषित हो गया है। दोनों नदियों का पानी हिन्दुओं के यज्ञ व अनुष्ठान के काबिल नहीं रह गया है। प्रदूषण के चलते गंगा व यमुना का जल आचमन योग्य नहीं रह गया है।