Friday, Apr 26 2024 | Time 20:46 Hrs(IST)
image
राज्य » अन्य राज्य


हाथी कोरिडोरों पर अतिक्रमण के मामले में वन्यजीव संरक्षक से मांगा जवाब

नैनीताल, 10 अक्टूबर (वार्ता) उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने हाथी काेरिडोर में अतिक्रमण को लेकर दायर जनहित याचिका को गंभीरता से लेते हुए मुख्य वन्यजीव सरंक्षक, कार्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक एवं प्रभागीय वनाधिकारी रामनगर से जवाब पेश करने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने आक्रामक हाथियों को राष्ट्रीय राजमार्ग से दूर रखने के लिये मिर्च, फायरिंग एवं पटाखों का इस्तेमाल करने के मामले में भी जवाब पेश करने को कहा है। अदालत ने इसे पशुक्रूरता मानते हुए पूछा है कि इसकी अनुमति किसने दी है।
मामले को दिल्ली की संस्था इंनडिपेंडेंट मेडिकल इंनटिवेट सोसाइटी की ओर से जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी है।
जनहित याचिका में कहा गया है कि उत्तराखण्ड में मौजूद 11 हाथी कारिडोरों में अतिक्रमण कर इनका व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है। आगे कहा गया है कि इनमें से तीन हाथी कारिडोर काॅर्बेट पार्क के मोहान सीमा से सटे हुए हैं। कार्बेट पार्क से सटे ढिकुली में पड़ने वाले हाथी कारिडोर में 150 से अधिक व्यवसायिक निर्माण कर दिये गये हैं। जिसके कारण कोरिडोर बंद हो चुका है। मोहान क्षेत्र में स्थित हाथी कोरिडोर भी अतिक्रमण से प्रभावित हुआ है। अतिक्रमण होने और रात में वाहनों की आवाजाही से हाथियों को कोसी नदी तक पहुंचने में दिक्कत होती है ।
इन व्यावसायिक भवनों को शादियों और अन्य उपयोग में लाया जा रहा है। यहां होने वाली पार्टियों में उच्च क्षमता के ध्वनि यंत्रों के प्रयोग से वन्यजीवों के जीवन में खलल पड़ रहा है। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि वन विभाग द्वारा मानव दखलंदाजी रोकने के बजाय हाथियों को राजमार्गों में आने से रोकने के लिए मिर्च पाउडर और पटाखोंं का प्रयोग किया जा रहा है जिससे वन्यजीवों खासकर हाथियों के व्यवहार में परिवर्तन आ रहा है और वे हिंसक होते जा रहे हैं। आगे कहा गया है कि पिछले एक साल में हाथियों की हमले की 20 से अधिक घटनाएंं हो चुकी हैं।
इस मामले में अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को होगी।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
image