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त्रिपुरा भाजपा ने पूर्व मंत्री पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप

अगरतला, 16 अक्टूबर (वार्ता) त्रिपुरा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तत्कालीन वाममोर्चा सरकार के कार्यकाल में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के पूर्व मंत्री बादल चौधरी पर आरोप लगाया कि कि वह 164 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार में शामिल थे।
भाजपा महासचिव एवं सांसद प्रतिमा भौमिक और राज्य के कानून मंत्री रतन लाल नाथ ने संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाते हुए कहा कि 2008-09 में निर्माण कार्य के लिए दी गयी कुल रकम वाममोर्चा को 2013 के विधानसभा चुनाव में जिताने के लिए खर्च किये गए थे और इसमें शीर्ष स्तर के दो अधिकारी अवकाश प्राप्त मुख्य सचिव और तत्कालीन पीडब्ल्यू सचिव वाई पी सिंह और मुख्य इंजीनियर सुनील भौमिक भी शामिल थे।
सुश्री भौमिक ने कहा, “ यह पूरी प्रक्रिया निजी कंपनी को कार्य सौंपने के लिए की गयी थी और इस संबंध में तत्कालीन मुख्य सचिव शशि प्रकाश ने इसमें भ्रष्टाचार होने के संकेत दिए थे और तत्कालीन माणिक सरकार के नेतृत्व वाली वाममोर्चा सरकार के मंत्रियों की भूमिका पर सवाल उठे थे।”
उन्होंने कहा कि 164 करोड़ रुपये की हेराफेरी का मामला तो सिर्फ 25 वर्षों के वाममोर्चा शासन के शीर्ष अधिकारियों के साथ मिलकर किए काले कारनामों की शुरुआत मात्र है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रतिबद्धता को देखते हुए ही त्रिपुरा की भाजपा सरकार भी भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टोलरेंस की नीति पर चलती है।
श्री नाथ ने कहा कि 31 जुलाई 2008 को श्री सरकार के नेतृत्व में मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई गयी जिसमें पीएसयू या निजी कंपनी द्वारा किए जाने वाले निर्माण कार्य को अनुमानित मूल्य से 10 फीसदी प्लस बेसिस पर कराने का निर्णय लिया गया।
श्री नाथ ने आरोप लगाया कि पीडब्ल्यू विभाग के अनुसार पीएसयू से 13 निर्माण कंपनियों के ईओआई को 11 सितंबर 2008 को बुलाया गया और इसकी कुल राशि 638.8 करोड़ बतायी गयी तथा बोली की अंतिम तीथि 24 सितंबर थी। इस बीच अंतिम तीथि के दो दिनों के भीतर ही विभाग ने निजी कंपनी से अलग-अलग ईओई को इसी कार्य के लिए बुलाया जिसकी अंतिम तीथि 17 अक्टूबर 2008 कर दी गयी।
उन्होंने कहा कि शुरुआती जांच में पता चला है कि विभाग ने निजी कंपनी को कार्य सौंपने के उद्देश्य से पीएयू की सबसे कम बोली का खुलासा किया था।
कानून मंत्री ने कहा कि मंत्रिमंडल ने निर्माण कार्य के अनुमानित लागत का 10 फीसदी मुनाफा का नियम तय किया था लेकिन श्री चौधरी के अनुमोदन पर विभाग ने कंपनी को 35 से 47 फीसदी तक का मुनाफा कराया जो मंत्रिमंडल के नियम का साफ उल्लंघन था।
इससे पहले मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने त्रिपुरा की भाजपा सरकार पर राजनीतिक दुश्मनी के तहत विपक्षी नेता को इस मामले में फंसाने का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि इसमें कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ था। लेकिन भाजपा ने माकपा के दावे को खारिज करते हुए कहा कि शुरुआती जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि इस निर्माण कार्य में घोटाला हुआ था।
शोभित.श्रवण
वार्ता
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