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मणिपुर संकट के हल को लेकर संगमा, शर्मा ने की बातचीत

इंफाल, 21 जून (वार्ता) मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा और असम के वित्त मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने मणिपुर संकट के हल को लेकर वहां के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह तथा अन्य नेताओं से बातचीत की है।
मणिपुर में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार से प्रमुख सहयोगी नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और भाजपा के तीन विधायकों के सरकार से समर्थन वापस लेने के कारण बिरेन सरकार पर संकट गहरा गया है।
एनपीपी के अध्यक्ष थांगमिन्लियन किपगेन ने कहा कि मणिपुर में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार का गठन वर्ष
2017 में पांच अन्य राजनीतिक दलों के साथ हुआ था लेकिन भाजपा ने सरकार को निरंकुश तरीके से चलाया और गठबंधन सहयोगियों के बीच विश्वास बनाने के लिए संचालन समिति का गठन करने से इनकार कर दिया।
श्री किपगेन ने कहा कि एनपीपी ने राज्य के विकास के लिए प्राथमिकता के आधार पर ‘न्यूनतम साझा कार्यक्रम’ का प्रस्ताव रखा था, लेकिन मुख्यमंत्री को बार-बार याद दिलाने के बावजूद इसे लागू नहीं किया जा सका। उन्होंने कहा कि भाजपा ने गठबंधन को नाम देने से इनकार कर दिया और सरकार के फैसले लेने में गठबंधन सहयोगियों से सलाह तक नहीं ली गई। एनपीपी अध्यक्ष को उप मुख्यमंत्री वाई जॉयकुमार से सीएम द्वारा पोर्टफोलियो हटाने की जानकारी नहीं दी गई थी।
उन्होंने कहा कि उप मुख्यमंत्री वाई जॉयकुमार को हटाने के बारे में भी मुख्यमंत्री ने उन्हें कोई सूचना नहीं दी। यही नहीं भाजपा के प्रवक्ता एस राजेन सिंह ने बयान जारी करते हुए एनपीपी से समर्थन वापस लेने की धमकी भी दी थी।
एनपीपी अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा ने राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार नामित करते समय सहयोगियों से कोई सलाह तक नहीं ली।
गौरतलब है कि चार विधायकों वाले एनपीपी ने सरकार बनाने के लिए 21 विधायकों वाले भाजपा का समर्थन किया था।
इस बीच कांग्रेस, एनपीपी, एआईटीसी और एक निर्दलीय विधायक ने विधानसभा में शक्ति परीक्षण कराने की मांग की है जिसे अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है। कांग्रेस और उसके सहयोगियों द्वारा गठित एसपीएफ़ ने राज्यपाल से सदन में शक्ति परीक्षण कराने का अनुरोध किया है।
बीजेपी के प्रवक्ता एस राजेन सिंह ने बयान जारी करते हुए एनपीपी से समर्थन वापस लेने को कहा। उन्होंने कहा कि भाजपा ने राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार नामित करते समय भागीदारों से भी सलाह नहीं ली। चार विधायकों वाले एनपीपी ने सरकार बनाने के लिए केवल 21 विधायकों के साथ भाजपा का समर्थन किया था।
सदन में शक्ति परीक्षण कराने के लिए कांग्रेस, एनपीपी, एआईटीसी और एक निर्दलीय विधायक की मांग को अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है। कांग्रेस और उसके सहयोगियों द्वारा गठित एसपीएफ़ ने राज्यपाल से सदन में शक्ति परीक्षण कराने का अनुरोध किया है।
संजय.श्रवण
वार्ता
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