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केन्द्रीय कर्मचारी चयन आयोग के सदस्य की नियुक्ति के मामले में केन्द्र से मांगा जवाब

नैनीताल, 25 फरवरी (वार्ता) वर्ष 2020 में प्रतिनियुक्ति के आधार पर भरे गये केन्द्रीय कर्मचारी चयन आयोग के सदस्य का मामला उच्च न्यायालय पहुंच गया है। भारतीय वन सेवा के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी की ओर से मामले को चुनौती दी गयी है। न्यायालय ने इस मामले में केन्द्र सरकार से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश राघवेन्द्र सिंह चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में गुरूवार को इस मामले में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि पिछले साल केन्द्र सरकार की ओर से केन्द्रीय कर्मचारी चयन आयोग के सदस्य के पद को प्रतिनियुक्ति के आधार पर भरने के लिये विज्ञापन निकाला गया।
आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 23 मार्च, 2020 थी और उनका आवेदन पत्र तीन दिन पहले 20 मार्च को अपने गंतव्य तक पहुंच गया था लेकिन साजिश के तहत उनके आवेदन को खारिज कर दिया गया। बताया गया कि इसके लिये जो तर्क दिये जा रहे हैं वह गलत हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि केन्द्र सरकार की ओर से बताया जा रहा है कि उनका आवेदन पत्र देरी से पहुंचा और उनके पास आवश्यक योग्यता भी नहीं है। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को आगे बताया गया कि उनका आवेदन समय पर पहंुचा गया था और उनके पास वानिकी में जो पीजी डिप्लोमा है, उसका मूल्यांकन एमएससी के बराबर है।
याचिकाकर्ता की ओर से इस मामले में केन्द्र, प्रदेश सरकार, केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अलावा पोस्टल विभाग के निदेशक और आयोग के चयनित सदस्य अशोक कुमार को पक्षकार बनाया गया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि न्यायालय ने फिलहाल केन्द्र सरकार व पोस्टल विभाग को चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है।
रवीन्द्र उप्रेती
वार्ता
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