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फर्जी दस्तावेज मामले में मामला दर्ज करने के आदेश

नैनीताल 21 अगस्त (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने फर्जी दस्तावेजों के बल पर अल्पकालिक जमानत (शार्ट टर्म बेल) लेेने के मामले में पैरोकार के खिलाफ अभियोग पंजीकृत करने के आदेश दिये हैं।
मामला उधमसिंह नगर जनपद के खटीमा के छिंकी विभ्राबाग गांव का है। मामले के अनुसार वीरेन्द्र सिंह रावत मादक द्रव्य अधिनियम के तहत जेल में बंद हैं। उसके खिलाफ थाना नानकमत्ता में सन् 2020 में इस मामले में अभियोग पंजीकृत किया गया है। पिता उम्मेद सिंह रावत के स्वास्थ्य का हवाला देते हुए उसके द्वारा उच्च न्यायालय में शार्ट टर्म बेल के लिये प्रार्थना पत्र दिया गया। न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी की अदालत में उस पर इसी महीने छह अगस्त को सुनवाई हुई।
अदालत को लगा कि प्रथमदृष्टया लगा कि वादी के भाई सुरेन्द्र सिंह रावत की ओर से शार्ट टर्म बेल के लिये प्रतिशपथ पत्र के साथ हल्द्वानी स्थित डा. सुशीला तिवारी अस्पताल के जो दस्तावेज जमा किये गये हैं, वे फर्जी हैं। अदालत ने शासकीय अधिवक्ता ललित मिगलानी को तीन दिन में जांच कर रिपोर्ट पेश करने को कहा। इस मामले में दस अगस्त को फिर सुनवाई हुई।
हल्द्वानी सुशीला तिवारी अस्पताल की ओर से पेश रिपोर्ट में साफ साफ कहा गया कि पंजीकरण पर्ची अस्पताल की नहीं है। वह फर्जी है। अस्पताल के किसी भी चिकित्सक की ओर से न तो नुस्खा लिखा गया है और नहीं ही कोई सलाह दी गयी है। इसे अदालत ने गंभीरता से लिया और माना कि फर्जी दस्तावेज शार्ट टर्म बेल पाने के लिये तैयार किये गये हैं।
अदालत ने यह भी माना कि इस साजिश में आरोपी सुरेन्द्र सिंह रावत के अलावा अन्य लोग भी शामिल हो सकते हैं। इसके बाद अदालत ने विगत 16 अगस्त को अंतिम आदेश जारी करते हुए दोषियों के खिलाफ रिपोर्ट पेश करने को कहा है। आदेश की प्रति आज मिली है।रवीन्द्र.संजय
वार्ता
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