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कमलादेवी चट्टोपाध्याय एनआईएफ़ बुक प्राइज़ के विजेता की घोषणा

बेंगलूरु, 02 दिसंबर (वार्ता) द न्यू इंडिया फ़ाउंडेशन ने कमलादेवी चट्टोपाध्याय एनआईएफ़ बुक प्राइज़ 2022 के विजेता की घोषणा की है।
उन्होंने अपने पांचवे संस्करण में इतिहासकार, कार्यकर्ता और लेखक शेखर पाठक द्वारा लिखित पुस्तक ‘द चिपको मूवमेंट- ए पीपल्स मूवमेंट’ पुस्तक का चयन किया है, जिसका हिंदी से अनुवाद मनीषा चौधरी द्वारा किया गया है।
विजेता का चयन छह-सदस्यीय जूरी पैनल द्वारा किया गया, जिसमें राजनीति वैज्ञानिक और लेखक नीरजा गोपाल जयल (अध्यक्ष), उद्यमी मनीष सभरवाल, इतिहासकार एवं लेखक श्रीनाथ राघवन, इतिहासकार एवं लेखक नयनजोत लाहिरी, पूर्व राजनयिक और लेखक नवतेज सरना और वकील एवं लेखक राहुल मत्थन शामिल रहे।
जूरी द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया,“ यह चिपको आंदोलन का एक ऐसे विद्वान द्वारा निर्णायक इतिहास है जिसने लगभग इसे जिया है। यह उचित ही है कि स्थानीय समुदायों, विशेषकर महिलाओं की नज़रों से किसी आंदोलन की कहानी कहने वाली किताब उतनी ही पठनीय हो, जितनी कि यह है। हिंदी से मनीषा चौधरी द्वारा अनुवादित शेखर पाठक की यह पुस्तक परिवर्तन की एक मनोहर अनुस्मारक है, और यह न केवल इतिहास का एक महत्वपूर्ण कार्य है, बल्कि एक ऐसी कृति है जो समकालीन क्षण से और पारिस्थितिकी और लोकतंत्र के इसके दोहरे संकटों पर बात करती है। ”
लेखक शेखर पाठक ने चिपको आंदोलन में शामिल ‘निम्नपदस्थों’ की आवाज़ गौरा देवी जैसे सामान्य पुरुष और महिलाओं को अपनी किताब में वास्तविक रूप दिया है। उन्हें कभी मुख्य रूप में दर्जा नहीं दिया गया था। लेखक उनकी घाटियों में रहे हैं, उन्होंने उनके इलाक़ों का अध्ययन किया है, प्रदर्शनकारियों और समुदायों से बात की है और उस समय के स्थानीय समाचार पत्रों को छाना है। वे दिखाते हैं कि नेतृत्व और विचारधारा में चिपको विविध था और यह कभी भी एक विशेष रूप से गांधीवादी आंदोलन नहीं था।
मनीषा चौधरी एक प्रमुख द्विभाषी संपादक, लेखिका और अनुवादक हैं। उन्होंने बच्चों के बीच पढ़ने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने और प्राथमिक शिक्षा में समानता लाने की दिशा में कई पहल की हैं।
एनआईएफ़ बुक प्राइज़ 2018 से समकालीन भारत पर सर्वश्रेष्ठ कथेतर पुस्तक के लिए प्रदान किया जाता है। पुरस्कार का नाम महान देशभक्त और संस्था-निर्माता कमलादेवी चट्टोपाध्याय के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम, महिला आंदोलन, शरणार्थी पुनर्वास और हस्तशिल्प के नवीनीकरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
गौरतलब है कि वर्ष 2018 में लेखक मिलन वैष्णव की लिखी पुस्तक व्हैन क्राइम पेज़-मनी एंड मसल इन इंडियन पॉलिटिक्स (हार्परकॉलिन्स पब्लिशर्स) और 2019 में लेखक ऑर्नित शनि की पुस्तक ‘हाउ इंडिया बीकेम डेमोक्रेटिक’ (पेंगुइन रैंडम हाउस), साल 2020 में संयुक्त रूप से अमित आहूजा को उनकी उत्कृष्ट पहली पुस्तक मोबिलाइज़िंग द मार्जिनलाइज़्ड- एथनिक पार्टीज़ विदाउट एथनिक मूवमेंट्स (ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस) और जयराम रमेश को उनकी आकर्षक जीवनी वी के कृष्णा मेनन, ए चेकर्ड ब्रिलिएंस (पेंगुइन रैंडम हाउस) और साल 2021 में दिनयार पटेल को नौरोजी पर लिखी अपनी विद्वतापूर्ण जीवनी नौरोजी-पायनियर ऑफ़ इंडियन नेशनलिज़्म (हार्वर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस) के लिए पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
कमलादेवी चट्टोपाध्याय एनआईएफ़ बुक प्राइज़ सभी राष्ट्रीयताओं के लेखकों द्वारा आधुनिक, समकालीन भारत पर कथेतर लेखन में उत्कृष्टता को मान्यता देता है। विजेता को 15 लाख रुपये का नक़द पुरस्कार, एक ट्रॉफ़ी और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है।
श्रद्धा.श्रवण
वार्ता
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