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फैक्ट्री अधिनियम में संशोधन वापस लिया गया : स्टालिन

चेन्नई 01 मई (वार्ता) तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने मई दिवस पर सोमवार को घोषणा की कि चुनिंदा कारखानों में काम के घंटे बढ़ाने के लिए फैक्ट्री अधिनियम में संशोधन विधेयक को वापस ले लिया गया है।
श्री स्टालिन ने यहां मई दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य विधानसभा में 21 अप्रैल को कारखाना अधिनियम, 1948 में संशोधन कर चुनिंदा कारखानों में काम के घंटे आठ से बढ़ाकर 12 करने का विवादास्पद विधेयक वापस ले लिया गया है।
इससे पहले, द्रमुक और विपक्षी अन्नद्रमुक और भारतीय जनता पार्टी के सहयोगियों सहित कई दलों की आपत्तियों और विभिन्न ट्रेड यूनियनों के विरोध के बाद, श्री स्टालिन ने विभिन्न दलों से जुड़े ट्रेड यूनियन नेताओं के साथ बातचीत के बाद घोषणा की थी कि श्रम बल के हितों को ध्यान में रखते हुए और उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए बिल को वापस ले लिया जाएगा।
कारखाना (तमिलनाडु संशोधन) विधेयक श्रम कल्याण और कौशल विकास मंत्री सीवी गणेशन द्वारा पेश किया गया था, जिन्होंने कहा कि आठ घंटे के काम, साप्ताहिक अवकाश और अतिरिक्त मजदूरी के खंडों में कोई बदलाव नहीं हुआ है तथा यह विधेयक औद्योगिक लचीलेपन के लिए लाया गया था।
मंत्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकार किसी भी कारखाने के खिलाफ नहीं है क्योंकि कानून सभी कंपनियों और कारखानों के लिए नहीं लाया गया है और केवल उन जगहों पर लागू किया जाएगा जहां श्रमिक चाहेंगे।
द्रमुक से संबद्ध लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एलपीएफ) द्वारा शहर के मे डे पार्क में आयोजित मई दिवस समारोह में विधेयक को वापस लेने की घोषणा करते हुए श्री स्टालिन ने कहा कि जल्द ही सभी विधायकों को विधेयक वापस लेने के बारे में सूचित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि द्रमुक सरकार श्रमिकों के कल्याण से संबंधित किसी भी चीज से कभी समझौता नहीं करेगी और वह चाहती है कि उद्योग व श्रमिक दोनों फले-फूले। साथ ही यह भी जोर देकर आश्वासन दिया कि द्रमुक हमेशा श्रमिकों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।
श्री स्टालिन ने कहा,“यदि किसी विधेयक को पेश करने के लिए साहस की आवश्यकता होती है, तो बिना किसी हिचकिचाहट के दो दिनों में इसे वापस लेने के लिए भी साहस की आवश्यकता होती है.. मुझे विधेयक को वापस लेने पर गर्व है।”
पूर्ववर्ती अन्नाद्रमुक की ओर से उठाए गए गंभीर मितव्ययिता उपायों का जिक्र करते हुए श्री स्टालिन ने पलटवार कर कहा,“आप जानते हैं कि वर्ष 2003 में जे जयललिता की सरकार ने ऐस्मा (आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम) और टेस्मा (तमिलनाडु आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम) के माध्यम से रातों-रात लाखों सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त करके किसने खुशी महसूस की।”
संजय अशोक
वार्ता
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