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अश्लील फिल्म मामले में जमानत मंजूर होने के बाद राज कुंद्रा मुंबई जेल से रिहा

अश्लील फिल्म मामले में जमानत मंजूर होने के बाद राज कुंद्रा मुंबई जेल से रिहा

मुंबई, 21 सितम्बर (वार्ता) अश्लील फिल्म (पोर्नोग्राफी) मामले में जेल में दो महीने बिताने के बाद व्यवसायी राज कुंद्रा

को मुंबई की आर्थर रोड जेल  से मंगलवार को रिहा कर दिया गया।

मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एस बी भाजीपाले ने सोमवार को कुंद्रा की जमानत अर्जी 50 हजार रुपये के मुचलके पर मंजूर कर लिया था और मंगलवार को उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया।

कुंद्रा के सहयोगी और सह-आरोपी रयान थोर्प, जिन्हें 19 जुलाई को उनके साथ गिरफ्तार किया गया था, को भी अदालत ने कथित रूप से अश्लील फिल्में बनाने और कुछ ऐप के माध्यम से प्रसारित करने के मामले में जमानत मंजूर कर ली थी। छियालिस वर्षीय व्यवसायी को न्यायिक हिरासत में मध्य मुंबई की आर्थर रोड जेल में रखा गया था।

बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति कुंद्रा को मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने भारतीय दंड संहिता, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और महिलाओं के अश्लील प्रतिनिधित्व (निषेध) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज करने के बाद गिरफ्तार किया था।

पुलिस द्वारा मामले में पूरक आरोप पत्र दायर करने के कुछ दिनों बाद कुंद्रा ने शनिवार को मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष जमानत याचिका दायर की थी। वकील प्रशांत पाटिल के माध्यम से दायर याचिका में, कुंद्रा ने दावा किया कि अभियोजन पक्ष के पास आज तक उनके खिलाफ एक भी सबूत नहीं है जो कथित पोर्न फिल्म रैकेट में इस्तेमाल किए गए ऐप 'हॉटशॉट्स' को कानून के तहत अपराध से जोड़ सके।

जांच एजेंसी के अनुसार, 'हॉटशॉट्स' ऐप का इस्तेमाल आरोपी व्यक्ति, अश्लील सामग्री को डालने के लिए कर रहे थे। कुंद्रा ने दावा किया कि उसके कथित संदिग्ध अश्लील सामग्री के निर्माण में ‘सक्रिय रूप से’ शामिल होने का कोई सबूत नहीं था। कुंद्रा ने आरोप लगाया कि उन्हें झूठा फंसाया गया, प्राथमिकी में उनका नाम भी नहीं था और मामले में पुलिस ने उन्हें घसीटा।

कुंद्रा ने अदालत के समक्ष जमानत याचिका दाखिल करते हुए दावा किया था कि इस मामले में मुंबई पुलिस की अपराध शाखा द्वारा दायर पूरक आरोप पत्र में उनके खिलाफ कोई भी सबूत नहीं है। उन्होंने याचिका में दावा किया था कि उनके कथित संदिग्ध अश्लील सामग्री के निर्माण में ‘सक्रिय रूप से’ शामिल होने का कोई सबूत नहीं है और उन्हें इस मामले में ‘बलि का बकरा’ बनाया जा रहा है।

त्रिपाठी.श्रवण

वार्ता

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