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सलूजा ने भार्गव के पत्र पर किया पलटवार, कहा सत्ता जाते ही याद आने लगी परंपरा

सलूजा ने भार्गव के पत्र पर किया पलटवार, कहा सत्ता जाते ही याद आने लगी परंपरा

भोपाल, 08 जून (वार्ता) मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा ने नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव द्वारा विधानसभा के सत्र को बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ को लिखे पत्र पर पलटवार करते हुए आज कहा कि सत्ता से विमुख होते ही श्री भार्गव को विधानसभा का महत्व और परंपरा याद आने लगी।

श्री सलूजा ने यहां जारी बयान में आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 15 साल के कार्यकाल में किस तरह लोकतंत्र के इस मंदिर का माखौल उड़ाया जाता रहा है, इसे पूरे प्रदेश ने देखा है। भाजपा के कार्यकाल में सदन की गरिमा को न केवल कम किया गया, बल्कि उसके अधिकारों तक का हनन हुआ। उन्होंने कहा कि वैसे श्री भार्गव को यह मालूम होना चाहिये कि जुलाई माह में बजट सत्र नहीं पावस सत्र आहूत किया गया है, जो कि भाजपा सरकार में मात्र 5-7 दिन का होता था, जबकि वर्तमान में यह सत्र 19 दिन का है।

उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष को यह तो मालूम ही है कि सत्र आहूत करना, दिन निर्धारित करना विधानसभा अध्यक्ष एवं राज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में होता है। श्री सलूजा ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने अपने पत्र में 2001 से 2017 तक हुए बजट सत्र के समयावधि का जो उल्लेख किया है, उससे ही यह स्पष्ट होता है कि भाजपा सरकार लोकतंत्र के एक स्तंभ विधायिका के प्रति कितनी गंभीर थी।

श्री सलूजा ने कहा कि स्वयं नेता प्रतिपक्ष कह रहे हैं कि कांग्रेस के कार्यकाल में 2001-02 में बजट सत्र की अवधि 76, 51 दिन की रही है। लेकिन जैसे ही 2003 में भाजपा सरकार आई बजट सत्र की अवधि घटते-घटते 2017 में 22 दिन तक पहुँच गई। स्वयं नेता प्रतिपक्ष स्वीकार रहे हैं कि भाजपा के कार्यकाल में अधिकतम 40 दिन और कम से कम 22 दिन का ही बजट सत्र पिछले 15 साल के कार्यकाल में संपन्न हुए हैं।

बघेल

वार्ता

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