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चेपुआ मछली के कृत्रिम ब्रीडिंग पर रिसर्च करेंगे वैज्ञानिक

चेपुआ मछली के कृत्रिम ब्रीडिंग पर रिसर्च करेंगे वैज्ञानिक

कुशीनगर 22 दिसंबर(वार्ता) नेशनल ब्यूरो आफ जेनरिक रिसोर्सेज (एनबीएफजीआर) के वैज्ञानिकों की टीम मंगलवार को कुशीनगर में दूसरी बार खड्डा क्षेत्र के छितौनी बगहा पुल के नीचे सिर्फ नारायणी नदी में पायी जाने वाली चेपुआ मछली का सैम्पल लेने पहुंची।

वैज्ञानिकाें ने मोटर बोट से नारायणी नदी का भ्रमण कर जिंदा चेपुआ मछली का सैम्पल लिया। टीम ने तीन दिन पहले भी नारायणी नदी के जल का सैंपल लिया था। अब यहां की मछलियों के कृत्रिम ब्रीडिंग की संभावनाएं तलाशने को रिसर्च होगा।

अधिकृत सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि कुशीनगर के खड्डा क्षेत्र के मदनपुर सुकरौली से लेकर छितौनी बगहा रेलपुल तक नारायणी नदी में ही सिर्फ चेपुआ मछली पायी जाती है। वैज्ञानिकों ने सिर्फ नारायणी नदी में मिलने वाली चेपुआ मछली की मछुआरों से जानकारी ली।

इसके बाद बीते 19 दिसंबर को वैज्ञानिकों की टीम नारायणी नदी के जल का सैम्पल लेने के बाद वापस लौट गयी। मंगलवार को दूसरी बार एनबीएफजीआर के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. केडी जोशी, मुख्य तकनीकी अधिकारी डॉ. राजेश दयाल व डॉ. अजय कुमार जिंदा चेपुआ मछली का सैम्पल जुटाने छितौनी बगहा रेलपुल के पनियहवा घाट पहुंचे। टीम ने मोटरबोट से नारायणी नदी का भ्रमण कर चेपुआ मछली का सैम्पल इकट्ठा किया।

प्रधान वैज्ञानिक डॉ. केडी जोशी ने बताया कि टीम पहले नारायणी नदी के जल का सैम्पल लेकर उसकी खूबियों की स्थानीय लोगों से बातचीत कर जांच पडताल की। अब चेपुआ मछली का सैम्पल इकट्ठा किया जा रहा है। इसकी भी जांच की जायेगी कि चेपुआ मछली इतनी मीठी क्यों होती है और क्या कारण है कि सबसे ज्यादा खडडा क्षेत्र से होकर बहने वाले नारायणी नदी में ही मिलती है।

वैज्ञानिकों की टीम पनियहवा चौराहे पर स्थित मछली के दुकानदारों से भी इसकी जानकारी हासिल की। इस दौरान सालिकपुर चौकी इंचार्ज अजय पटेल, संजय हमदर्द सहित आदि भी मौजूद रहे। वैज्ञानिकों ने बताया कि रिसर्च लंबा समय लेता है। एक साल या अधिक का समय लग सकता है। उम्मीद है कि इस बीच कृत्रिम ब्रीडिंग की संभावनाएं निकल आनी चाहिए।

सं प्रदीप

वार्ता

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