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मप्र की धरती पर आतंक को कोई जगह नहीं - शिवराज

मप्र की धरती पर आतंक को कोई जगह नहीं - शिवराज

भोपाल, 14 मई (वार्ता) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि राज्य की धरती पर आतंक को कोई स्थान नहीं है और राज्य में 'केरल स्टोरी' नहीं बनने देंगे।

श्री चौहान ने यहां मीडिया से चर्चा के दौरान हाल ही में केंद्रीय एजेंसियों और राज्य के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) की कार्रवाई के दौरान कट्टरपंथी संगठनों से जुड़े 10 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी के संबंध में पूछे जाने पर यह टिप्पणी की। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें जैसे ही जानकारी मिली कि राज्य में आतंकी संगठन हिज्ब उत तहरीर सक्रिय हो रहा है, उन्होंने एटीएस को तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संगठन का नेटवर्क ऐसा है, जो कई लोगों की जिंदगी तबाह करता है। ये पहले धर्मांतरण करवाते हैं। फिर लड़कियों से विवाह करके उनका धर्मांतरण करवाते हैं। उसके बाद लड़कियों को आतंकवाद के दल दल में धकेल देते हैं। राज्य में यह किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और हम यहां केरल स्टोरी नहीं बनने देंगे।

श्री चौहान ने कहा कि राज्य में लव जिहाद और धर्मांतरण का कुचक्र नहीं चलेगा। मध्यप्रदेश की एटीएस की टीम और केंद्रीय एजेंसियों ने संयुक्त रूप से 10 ऐसे लोगों को हाल ही में भोपाल से और एक को छिंदवाड़ा से पकड़ा है। यहं पुलिस रिमांड पर हैं और इनसे पूछताछ की जा रही है। इसके अलावा लगभग पांच लोग हैदराबाद से गिरफ्तार हुए हैं। आरोपियों में से एक ऐसा व्यक्ति भी है, जो भोपाल हिंदू से धर्मांतरित हुआ है। इन सबके तार हिज्ब उत तहरीर नाम के कट्टरपंथी संगठन से जुड़े हुए हैं।

श्री चौहान ने कहा कि आरोपियों से पूछताछ में पता चला है कि रायसेन जिले में जंगल में ट्रेनिंग कैंप लगाते थे। समाज में घुलने मिलने के लिए इनमें से कोई जिम ट्रेनर होता था, तो कोई कंप्यूटर टैक्नीशियन, कोई दर्जी और कोई ऑटो ड्राइवर आदि का कार्य करते थे। इनमें से एक आरोपी भोपाल के कोहेफिजा क्षेत्र में ऑडिटोरियम ट्यूटोरियल के नाम से कोचिंग सेंटर भी चला रहा था। यह लोग समाज की भोली भाली बेटियों को फंसाकर शादी करते। उनकी जिंदगी बर्बाद करते और फिर धर्म परिवर्तन जैसे गैरकानूनी कार्य कर रहे थे।

श्री चौहान ने दृढ़ता के साथ कहा कि राज्य में ऐसी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेंगे और इन्हें जड़ से समाप्त करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले भी सिमी के नेटवर्क को समाप्त किया। चंबल से डकैतों का आतंक दूर किया। नक्सलवाद भी छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की सीमा तक सीमित रह गया है।

प्रशांत

वार्ता

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