..पुण्यतिथि 21 अक्टूबर ..
मुंबई. 20 अक्टूबर (वार्ता) बॉलीवुड में किंग ऑफ रोमांस यश चोपड़ा को एक फिल्मकार के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने रूमानी फिल्मों के जरिये दर्शकों के बीच अपनी खास पहचान बनायी।
पंजाब के लाहौर में 27 सितंबर 1932 को जन्में यश चोपड़ा के बड़े भाई बी.आर.चोपड़ा फिल्म इंडस्ट्री के जाने माने निर्माता-निर्देशक थे। अपने करियर के शुरूआती दौर में यश चोपड़ा ने आइ.एस .जौहर के साथ बतौर सहायक काम किया । बतौर निर्देशक यश चोपड़ा ने अपने सिने करियर की शुरूआत वर्ष 1959 में अपने भाई के बैनर तले बनी फिल्म धूल का फूल से की।
वर्ष 1961 में यश चोपड़ा को एक बार फिर से अपने भाई के बैनर तले बनी फिल्म “धर्म पुत्र” को निर्देशित करने का मौका मिला । इस फिल्म से ही बतौर अभिनेता शशि कपूर ने अपने सिने करियर की शुरूआत की थी। वर्ष 1965 में प्रदर्शित फिल्म “वक्त” यश चोपड़ा के निर्देशन में बनी उत्कृष्ठ फिल्मों में शुमार की जाती है। इस फिल्म को बॉलीवुड की पहली मल्टीस्टारर फिल्म माना जाता है। वक्त में बलराज साहनी, राजकुमार, सुनील दत्त, शशि कपूर और रहमान ने मुख्य भूमिकायें निभायी थी।
वर्ष 1969 में यश चोपड़ा के सिने करियर की एक और सुपरहिट फिल्म “इत्तेफाक” प्रदर्शित हुयी। दिलचस्प बात है कि राजेश खन्ना और नंदा की जोड़ी वाली संस्पेंस थ्रिलर इस फिल्म में कोई गीत नही था बावजूद इसके फिल्म को दर्शकों ने काफी पसंद किया और उसे सुपरहिट बना दिया। वर्ष 1973 में प्रदर्शित फिल्म “दाग” के जरिये यश चोपड़ा ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख दिया और यश राज बैनर की स्थापना की। राजेश खन्ना, शर्मिला टैगोर और राखी अभिनीत यह फिल्म टिकट खिड़की पर सुपरहिट साबित हुयी। वर्ष 1975 में प्रदर्शित फिल्म “दीवार” यश चोपड़ा के सिने करियर के लिये मील का पत्थर साबित हुयी ।
वर्ष 1995 में यश चोपड़ा के सिने करियर की एक और सुपरहिट फिल्म “दिलवाले दुल्हनियां ले जायेंगे” प्रदर्शित हुयी। युवा प्रेम कथा पर बनी काजोल और शाहरूख खान के बेहतरीन अभिनय से सजी यह फिल्म सुपरहिट साबित हुयी। वर्ष 1997 में प्रदर्शित फिल्म “दिल तो पागल है” यश चोपड़ा निर्देशित सुपरहिट फिल्म में शुमार की जाती है। माधुरी दीक्षित, शाहरूख खान और करिश्मा कपूर के बीच प्रेम त्रिकोण पर आधारित इस फिल्म के जरिये यश चोपड़ा ने दर्शको को यह बताया कि जोड़ी उपर वाले की मर्जी से स्वर्ग में बनती है। इस फिल्म के बाद बतौर निर्देशक यश चोपड़ा ने कुछ वर्षो तक बतौर निर्देशक काम करना बंद कर दिया ।
वर्ष 2004 में प्रदर्शित फिल्म “वीर जारा” से यश चोपड़ा ने एक बार फिर से निर्देशन के क्षेत्र में कदम रख दिया। शाहरूख खान और प्रीति जिंटा की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म के जरिये यश चोपड़ा ने बताया कि प्यार किसी देश की सीमा से बंधा नही रह सकता है। इस फिल्म के संगीत से जुड़ा रोचक तथ्य यह है कि इस फिल्म में स्वर्गीय मदन मोहन की बिना इस्तेमाल की हुयी आठ धुन का इस्तेमाल किया गया ।
यश चोपड़ा को अपने सिने कैरियर में अब तक 11 बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। फिल्म के क्षेत्र उल्लेखनीय योगदान को देखते हुये वर्ष 2001 में यश चोपड़ा फिल्म जगत के सर्वोच्च सम्मान “दादासाहब फाल्के” पुरस्कार से भी सम्मानित किये गये। यश चोपड़ा की अंतिम फिल्म जब तक है जान वर्ष 2012 में प्रदर्शित हुयी। अपनी निर्मित फिल्मों के जरिये दर्शको को रूमानियत का अहसास कराने वाले यश चोपड़ा 21 अक्टूबर 2012 को इस दुनिया को अलविदा कह गये।
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