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मध्यप्रदेश विस बजट हंगामा स्थगित दो अंतिम भोपाल

रात्रि में कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री हर्ष यादव के विभागों से संबंधित अनुदान मांगों पर चर्चा चल रही थी। इस बीच वरिष्ठ भाजपा विधायक डॉ नरोत्तम मिश्रा ने दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती दीक्षित को श्रद्धांजलि अर्पित करने का प्रस्ताव रख दिया। अध्यक्ष एन पी प्रजापति ने कहा कि श्रद्धांजलि कल सुबह विधिवत दी जाएगी। भाजपा के अनेक सदस्य एकसाथ खड़े होकर श्रद्धांजलि देने की बात पर अड़ गए। हंगामा होते देख सदन की कार्यवाही पांच मिनट के लिए स्थगित कर दी गयी।
सदन समवेत होने पर भाजपा ने फिर अपनी बात दोहरायी। इस बीच अध्यक्ष ने शेष विभागों की अनुदान मांगों को बगैर चर्चा के पारित करा दिया। इसके बाद मध्यप्रदेश के बजट से संबंधित विनियोग विधेयक पेश किया गया और कुछ ही पलों में उसे भी बगैर चर्चा (गिलोटिन) के पारित कराने की औपचारिकता पूरी की गयी। इसके बाद सदन की कार्यवाही कल सुबह ग्यारह बजे तक स्थगित कर दी गयी।
भाजपा के सदस्य एकसाथ विधानसभा परिसर स्थित गांधीजी की प्रतिमा के समक्ष पहुंचे। विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव ने परिसर में मीडिया से कहा कि कांग्रेस नेता एवं दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित सभी के लिए सम्मानीय नेता थीं। हम सभी दलीय भावना से ऊपर उठकर सदन में श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इसलिए हम सभी विधायक उन्हें यहां गांधीजी की प्रतिमा के समक्ष श्रद्धांजलि अर्पित करने आए हैं।
वहीं यह मामला उठाने वाले पूर्व मंत्री एवं भाजपा नेता नरोत्तम मिश्रा ने मीडिया से कहा कि उन्होंने श्रीमती दीक्षित को उनकी अंत्येष्टि के बाद श्रद्धांजलि अर्पित करने की बात कही थी, लेकिन उनकी बात नहीं मानी गयी।
वहीं जनसंपर्क मंत्री पी सी शर्मा ने मीडिया से कहा कि भाजपा के नेता इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं। जब कल सुबह श्रद्धांजलि अर्पित करने का तय हो गया था, तो अचानक हंगामा करने का मकसद क्या रहा। उन्होंने कहा कि भाजपा बजट पर चर्चा से बचना चाहती थी, इसलिए उसने ऐसा किया।
वित्त मंत्री तरुण भनोत ने कहा कि इस मामले में भाजपा को राजनीति नहीं करना चाहिए। श्रीमती दीक्षित हम सभी की नेता हैं। मुख्यमंत्री तो स्वयं आज ही उनकी अंत्येष्टि में शामिल होकर लौटे हैं। भाजपा को ऐसा नहीं करना चाहिए।
इसके पहले आज सुबह सदन की कार्यवाही सुबह ग्यारह बजे शुरू हुयी, जो रात्रि साढ़े नौ बजे के आसपास तक चली। दिन में लगभग आधा दर्जन विभागों की अनुदान मांगों को चर्चा के बाद पारित कराया गया। लेकिन रात्रि में हंगामे हो गया।
प्रशांत
वार्ता
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