चंडीगढ़, 10 मई (वार्ता) लोकसभा चुनाव भले ‘राष्ट्रीय सुरक्षा‘ के मुद्दे पर लड़ा जा रहा हो पर रक्षा विश्वविद्यालय की स्थापना मंजूरी मिलने के नौ साल बाद भी सपना मात्र ही है।
गैर सरकारी संस्था मानव आवाज के संयोजक एडवोकेट अभय जैन ने आज यहां एक बयान जारी कर यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि इंडियन नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी (इन्दू) जिसका मुख्य लक्ष्य रक्षा के क्षेत्र में प्रबंधन, विज्ञान, प्रौद्योगिकी की उच्चतर शिक्षा प्रदान करने के साथ रक्षा नीति से संबंधित अनुसंधान को प्रोत्साहन देना था और विश्व स्तरीय विश्वविद्याल गुरुग्राम के बिनोला गांव में 205 एकड़ के क्षेत्र में बनाया जाना था, लेकिन आज भी वहां महज चार फुट की दीवार ही खड़ी है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ़ मनमोहन सिंह ने रक्षा मंत्रालय के मंजूरी प्रदान करने के बाद इस विश्वविद्यालय की आधार शिला मई 2013 में रखी थी।
एडवोकेट जैन के अनुसार इस राष्ट्रीय रक्षा यूनिवर्सिटी की कल्पना सबसे पहले वर्ष 1967 में चीफ आफ स्टाफ कमेटी ने की थी, लेकिन तीन दशक गुजरने के बाद तक यह विचार फाइलों में ही दबा रहा। कारगिल युद्ध के बाद वर्ष 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में इसे गम्भीरता से लिया गया। इस सिलसिले में रक्षा विशेषज्ञ के सुब्रमणियन की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया। इस कमेटी ने वर्ष 2002 में अपनी रिपोर्ट में इस रक्षा विश्वविद्यालय की आवश्यकता पर बल दिया। बाद में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने वर्ष 2010 में गुरुग्राम में इसकी स्थापना के लिए मंजूरी प्रदान की। इसके लिए वर्ष 2012 में बिनोला गांव में जमीन का अधिग्रहण किया गया और वर्ष 2013 में डीपीआर (विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट) पेश कर दी गई।
श्री जैन के अनुसार भारतीय जनता पार्टी ने भी अपने 2014 के लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र के पृष्ठ क्रमांक 39 पर देश में चार रक्षा विश्वविद्यालय बनाकर रक्षा के क्षेत्र में अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी को पूरा करने का आश्वासन दिया था।
श्री जैन ने बताया कि रक्षा विश्वविद्यालय की शुरुआत 2019 के शैक्षणिक सत्र से अपेक्षित थी लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए, यह अभी सपना ही लगता हैं। विश्वविद्यालय की संरचना के अनुसार यहां दाखिले के लिए 66 प्रतिशत छात्र रक्षा बलों से तथा 33 प्रतिशत छात्र अन्य सरकारी एजेंसियों तथा असैनिक क्षेत्र से लिए जाने हैं। पूर्णतः स्वायत्त विश्वविद्यालय सेना, वायुसेना, नौसेना के तीन सितारा जनरल की अगुवाई में काम करेगी। अलग-अलग विश्वविद्यालयों के तहत आने वाले नेशनल डिफेंस कालेज, दिल्ली, कालेज आफ डिफेंस मैनेजमेंट, सिकन्दराबाद, डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कालेज, विलंगटन और नेशनल डिफेंस अकादमी, खड़कवासला इस रक्षा विश्विद्यालय से संबद्ध होगें। इस विश्वविद्यालय में अन्य महत्त्वपूर्ण संस्थान जैसे नेशनल इंस्टीट्यूट आफ स्ट्रेटेजिक स्टडीज, कालेज आफ नेशनल सिक्योरिटी पालिसी और इंस्टीट्यूट फॉर एडवांस टेक्नॉलाजी स्टडीज भी सम्मिलित होंगे। विश्वविद्याल न केवल तीनों रक्षा बलों में समन्वय स्थापित करने बल्कि रक्षा बलों और सरकार की अन्य एजेंसियों के बीच भी समन्वय में सहायक सिद्ध होगा।