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एक्सीडेंट तो होना ही था़ ़ ़

चंडीगढ़, 10 जुलाई (वार्ता) राष्ट्रीय राजमार्गों पर बढ़ती दुर्घटनाओं के कारणों में एक प्रमुख कारण राजमार्गों के किनारे बने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों या रिहायशी बस्तियों की राजमार्गों तक गैरकानूनी पहुंच है।
गैर सरकारी संगठन अराईवसेफ की सूचना अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर हजारों गैरकानूनी पहुंच ने इन्हें ‘मौत का जाल‘ बनाया हुआ है। प्राप्त जानकारी के अनुसार केवल 16 संस्थानों ने इसकी अनुमति ली हुई है।
संगठन ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करने और उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
संगठन ने आरोप लगाया है कि महामार्ग प्रशासन एनएच 44 पर इन अंधाधुंध उल्लंघनों के प्रति आंखें मूंदे हुए है।
संगठन के अनुसार एनएचएआई के दिशानिर्देशों का पालन न करने के कारण रोज असंख्य जानें जा रही हैं।
अराईवसेफ के हरमन सिंह सिद्धू ने बताया कि एनएचएआई ने 2017 में एनएच 44 पर जालंधर से जम्मू कश्मीर सीमा तक के 113 किलोमीटर के रास्ते में 146 गैरकानूनी पहुंच की शिनाख्त की थी पर उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
श्री सिद्धू के अनुसार शंभू बैरियर से जालंधर तक के 162 किलोमीटर रास्ते पर तो ऐसे उल्लंघनों को लेकर एनएचएआई के पास कोई डाटा ही नहीं है।
गैर सरकारी संगठन के सर्वेक्षण के अनुसार शंभू बैरियर से पंजाब/जम्मू कश्मीर सीमा तक करीब 3000 बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठान हैँ जिनमें रिहायशी कालोनियां, कॉलेज, मैरेज पैलेस, अस्पताल, होटल, पेट्रोल पंप, कारखाने और वाहन एजेंसियां शामिल हैं।
श्री सिद्धू के अनुसार पंजाब पुलिस की सड़क दुर्घटनाओं पर प्रकाशित रिपोर्टों में भी इस मुद्दे का जिक्र नहीं है। एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार दुर्घटनाओं में मौतों की संख्या में छह फीसदी की वृद्धि हुई है और कमियां दूर नहीं की गईं तो यह संख्या और बढ़ने ही वाली है।
उन्होंने बताया कि दिशानिर्देशों के अनुसार हर व्यावसायिक प्रतिष्ठान को राजमार्ग तक पहुंच के लिए अनुमति के लिए आवेदन करना होता है जिसके बाद हाइवे प्रशसन सेफ्टी ऑडिट करता है, शुल्क लेता है और अनुमति देता है जिसे हर पांच साल में नवीनीकृत कराना होता है।
श्री सिद्धू के अनुसार यात्री टोल शुल्क के रूप में मोटी रकम देते हैं लेकिन यह सड़कें असुरक्षित इंफ्रास्ट्रक्चर यानी इन गैरकानूनी पहुंच/कट, टूटे या भरे हुए नालों, गार्ड रेलिंग और पैरापेट के कारण असुरक्षित बन जाती हैं और नये बने हायवे पर ऐसे गैरकानूनी व्यावसाय तेजी से आ रहे हैं।
उन्होंने केंद्रीय मंत्री से कंट्रोल ऑफ नेशनल हाइवेस (लैंड एंड ट्रैफिक) एक्ट, 2002 के प्रावधानों के तहत एनएचएआई को कार्रवाई करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।
महेश विक्रम
वार्ता
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