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हरियाणा में मास्क न लगाने पर जुर्माना की नोटिफिकेशन की वैधता पर सवालिया निशान

चंडीगढ़, 27 सितंबर (वार्ता) हरियाणा में चेहरे पर मास्क या फेसकवर न लगाने और सार्वजनिक स्थानों पर थूकने वाले लोगों पर 500 रुपये जुर्माने की नोटिफिकेशन पर एक वरिष्ठ वकील ने सवालिया निशान लगाया है।
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के वकील हेमंत कुमार के अनुसार 27 मई को स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक डॉ़ डॉ. सूरज भान कंबोज के हस्ताक्षर से महामारी (एपिडेमिक डिसीसेस ) कानून, 1897 के नियम संख्या 12.9 के अंतर्गत जारी एक नोटिफिकेशन में यह उल्लेख है कि कोरोना-वायरस संक्रमण के दृष्टिगत प्रदेश में चेहरे पर मास्क या फेस कवर न पहनने एवं सार्वजानिक स्थानों पर थूकने वाले व्यक्ति पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा एवं यह जुर्माना न भरने पर उस के विरूद्ध भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 188 के अंतर्गत कानूनी कार्यवाही की जायेगी।
उक्त नोटिफिकेशन की कानूनी वैधता पर प्रश्न उठाते हुए एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि सर्वप्रथम तो आज तक उक्त नोटिफिकेशन को हरियाणा सरकार के गजट में प्रकाशित कर अधिसूचित नहीं किया गया है जो कि आवश्यक है। उन्होंने बताया कि हर कानून के अंतर्गत कोई भी नोटिफिकेशन संबंधित विभागाध्यक्ष की तरफ से नहीं बल्कि उस विभाग के प्रशासनिक प्रमुख अर्थात अतिरिक्त मुख्य सचिव या प्रधान सचिव की तरफ से जारी कि जानी चाहिए। विभागाध्यक्ष की तरफ से समय-समय पर उपयुक्त आदेश तो जारी किये जा सकते हैं परन्तु किसी कानूनी प्रावधान के अंतर्गत कोई नोटिफिकेशन नहीं, विशेष तौर पर अगर उसके जरिये किसी कृत्य को करने या न करने पर निश्चित जुर्माना राशि लगाने का उल्लेख हो, ऐसी परिस्थिति में यह केवल विभाग के प्रशासनिक सचिव की तरफ से ही नोटिफिकेशन जारी कर उसे सरकारी गजट में नोटिफाई किया जाना चाहिए।
उन्होंने आगे बताया कि 27 मई को स्वास्थ्य महानिदेशक की जारी नोटिफिकेशन के आरम्भ में महामारी अधिनियम, 1897 के नियम 12.9 का उल्लेख है परन्तु वास्तविक तौर पर इस कानून में न तो केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकार के द्वारा कोई भी नियम नहीं बनाये गए हैं। हालांकि साढ़े छः माह पूर्व 11 मार्च को हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव अरोड़ा की तरफ से एक गजट नोटिफिकेशन जारी कर उक्त अधिनियम की धाराओ 2, 3 और 4 के अंतर्गत प्रदेश में हरियाणा महामारी (कोविड-19) विनियम, 2020 जारी कर उन्हें तत्काल प्रभाव से लागू किया गया जो उस नोटिफिकेशनसे जारी होने से एक वर्ष तक अर्थात 10 मार्च, 2021 तक लागू रहेंगे। उक्त रेगुलेशंस में क्रमांक 12 के नौवें स्थान पर जिला प्रशासन की तरफ से प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के निर्देशित उपायों की अनुपालना सुनिश्चित करने का उल्लेख तो है परन्तु इसका अर्थ यह कतई नहीं है की प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक की तरफ से ही नोटिफिकेशन जारी कर किसी निश्चित जुर्माना राशि लगाने का निर्देश दे दिया जाए।
एडवोकेट कुमार के अनुसार वैसे भी कानूनन कोई भी टैक्स, पेनल्टी या जुर्माना और विशेष तौर पर अगर वो किसी निश्चित राशि का हो तो ऐसा किसी सरकारी नोटिफिकेशन के जरिये प्राधिकृत अथॉरिटी या उच्च अधिकारी की तरफ से उसी परिस्थिति में लगाने का आदेश दिया जा सकता है जबकि संबंधित कानून में इसका स्पष्ट उल्लेख हो और इस सम्बन्ध में उस प्राधिकृत अथॉरिटी या अधिकारी को साफ तौर पर ऐसा जुर्माना लगाने की शक्ति प्रदान की गयी हो। उन्होंने बताया कि न तो महामारी अधिनियम, 1897 में और न ही हरियाणा सरकार की मार्च में जारी उक्त कोविड-19 महामारी विनियम में इस सम्बन्ध में कोई प्रावधान या उल्लेख है। इस प्रकार 27 मई को स्वास्थ्य महानिदेशक की जारी नोटिफिकेशन की कानूनी वैधता पर गंभीर प्रश्नचिह्न उत्पन्न होता है।
एडवोकेट कुमार के अनुसार उक्त नोटिफिकेशन को प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव की तरफ से महामारी कानून, 1897 में जारी किया जाना चाहिए और उसमें 500 रुपये जुर्माना राशि के उल्लेख की बजाय चेहरे पर मास्क या फेस कवर न पहनने वालों पर आईपीसी की धारा 188 में कानूनी कार्यवाही करने का उल्लेख होना चाहिए। अगर हरियाणा सरकार को निश्चित राशि का जुर्माना लगाने सम्बन्धी प्रावधान करना है तो इस सम्बन्ध में सरकार को उक्त 1897 कानून में उपयुक्त संशोधन करना होगा जो कि राज्यपाल के जरिये तत्काल अध्यादेश जारी करवाकर किया जा सकता है, जिसे बाद में विधानसभा में विधेयक के रूप में पारित करवाया जा सकता है। पड़ोेसी राजस्थान सरकार की तरफ से कुछ माह पूर्व राजस्थान महामारी अधिनियम, 2020 लागू कर ऐसा किया गया है, जिसकी धारा 11 में प्रदेश सरकार के पास मास्क न पहनंने, सार्वजानिक स्थलों पर थूकने सम्बन्धी आदि को अपराध अधिसूचित कर उनके लिए निश्चित जुर्माना राशि नियत करने और उलंघनकर्ता द्वारा जुर्माना अदा करने पर उपयुक्त अधिकारियों द्वारा उन अपराधों का शमन (कंपाउंड ) करने का स्पष्ट प्रावधान है। हेमंत ने बताया कि प्रदेश के मुख्य सचिव जो राज्य आपदा प्रबंधन अथॉरिटी की राज्य कार्यकारी कमेटी के चेयरपर्सन होते हैं, वह भी आपदा प्रबंधन कानून, 2005 की उपयुक्त धारा में समस्त प्रदेश के लिए ऐसा आदेश जारी कर सकते हैं हालांकि उनकी अवहेलना करने पर उपयुक्त कोर्ट में प्राधिकृत अधिकारी की तरफ से लिखित शिकायत दायर कर ही कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।
सं महेश विक्रम
वार्ता
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