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हरियाणा में अब औद्योगिक एस्टेट में होगी श्रमिकों के आवासीय सुविधा: दुष्यंत

चंडीगढ़, 24 दिसम्बर(वार्ता) हरियाणा में अब औद्योगिक एस्टेट में अब दस प्रतिशत हिस्सा श्रमिकों के रहने के लिए आवासीय क्षेत्र के रूप में आरक्षित किया जाएगा तथा ग्रामीण क्षेत्र में अधिकाधिक उद्योग स्थापित करने हेतु ग्रामीणों की सहमति से पंचायती भूमि पट्टे पर उपलब्ध कराई जाएगी।
राज्य के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। उन्होंने ‘हरियाणा औद्योगिक एवं रोजगार नीति-2020’ के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि पांच वर्षों के लिए बनाई गई इस नई नीति के तहत अगले पांच साल में पांच लाख नौकरियां पैदा करने और एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश आकर्षित करने का लक्ष्य है। नई नीति में निर्यात को बढ़ावा दिया जाएगा जिसके अंतर्गत दो लाख करोड़ रूपए का निर्यात करने का लक्ष्य रखा गया है।
उन्होंने नई नीति को क्षेत्रीय विकास और अधिकाधिक रोजगार सृजन करने की दिशा में महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इससे हरियाणा देश में पसंदीदा निवेश स्थल बनेगा। यही नहीं इससे होने वाले आर्थिक विकास से आजीविका के अवसर बढ़ेंगे। नई नीति में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के अनुसार इको-सिस्टम मजबूत करने पर जोर दिया गया है। इस नीति में तीन साल के लिए मेगा और अल्ट्रा-मेगा परियोजनाओं को न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 को छोड़कर कुछ शर्तों के अनुसार बाकी श्रमिक कानूनों से रियायत मिलेगी।
उन्होंने बताया कि ऊर्जा से सम्बंधित उद्योगों में फैक्ट्री कानून-1948 से छूट के लिए श्रमिकों की न्यूनतम संख्या 20 से बढ़ाकर 40 कर दी गई है। नई नीति में औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के अंतर्गत आईटी, आईटीईएस, ऑटो, इलेक्ट्रॉनिक्स और कपड़ा उद्योग को सार्वजनिक उपयोगिताओं के रूप में घोषित किया गया है। यही नहीं सामान्य उद्योगों के मामलों में फर्श क्षेत्र अनुपात (एफएआर) को सामान्य 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 150 से 200 प्रतिशत किया गया है। भंडारण के मामलों में एफएआरर अनुपात को सामान्य 75 प्रतिशत से बढ़ाकर 150 फीसदी तक किया गया है।
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि डाटा सेंटर इकाईयों के सरफेस पार्किंग पर्याप्त होने की स्थिति में बेसमेंट पार्किंग के प्रावधान की अनिवार्यता दूर की जाएगी। जहां कोई परियोजना लागू है और एचएसआईआईडीसी के बकाया का भुगतान हो चुका हो, उसके लिए भूखंडों के हस्तांतरण के लिए स्वत: प्रावधान की मंजूरी दी गई है। सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए फ्लेटिड-फैक्ट्री के लिए कम से कम 2000 वर्ग मीटर या उससे ज्यादा क्षेत्र के प्लॉटों का 250 प्रतिशत तक का एफएआर बढ़ाया गया है। श्रम आवास के लिए 2000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र के एचएसआईआईडीसी के भूखंडों की एफएआर में 250 प्रतिशत तक की वृद्धि की गई है। औद्योगिक सम्पदा के क्षेत्र का पांच प्रतिशत भंडारण गतिविधियों के लिए आरक्षित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पट्टे पर ली गई जमीन पर काम करने की एचएसआईआईडीसी अनुमति देकर निवेशकों पर अग्रिम लागत का बोझ कम करने के लिए भी एक नीति भी तैयार की जाएगी।
श्री चौटाला ने बताया कि एचएसआईआईडीसी द्वारा औद्योगिक सम्पदाओं में श्रमिकों के लिए शयनगृह और औद्योगिक आवास बनाने के लिए योजना तैयार की जाएगी। नई नीति एचईपीसी पोर्टल पर औद्योगिक मंजूरी से सम्बंधित विभिन्न विभागों की 36 अन्य सेवाएं प्रदान करने की भी परिकल्पना करती है। इस नीति के तहत संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा दिया जाएगा। पूरे राज्य को औद्योगिकीकरण, सामाजिक-आर्थिक विकास, स्थानीय लाभ और विभिन्न प्रकार के कौशल विकास के स्तर के आधार पर विभिन्न स्केल की प्रोत्साहन राशि के साथ चार श्रेणियों ( ए, बी, सी और डी) में वर्गीकृत किया गया है।
उन्होंने नई नीति को युवाओं के लिए कल्याणकारी और रोजगारपरक बताते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं के लिए उनके घर-द्वार पर रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए ‘हरियाणा ग्रामीण औद्यागिक विकास योजना’ शुरू की जाएगी। इस योजना के अंतर्गत 15 प्रतिशत पूजी सब्सिडी (अधिकतम 20 लाख रूपए तक), सात प्रतिशत ब्याज सब्सिडी (अधिकतम आठ लाख रूपए तक)और डीजी सेट की लागत में 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी। नीति में स्टार्टअप के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। नई नीति में स्टार्टअप शुरू करने पर पांच वर्ष के लिए आठ प्रतिशत ब्याज सब्सिडी (अधिकतम 20 लाख रूपए तक), प्रत्येक स्टार्टअप पर 10 लाख रूपए तक सीड ग्रांट तथा सात वर्ष तक 100 प्रतिशत स्टेट जीएसटी वापसी करने का प्रावधान किया गया है।
श्री चौटाला ने बताया कि राज्य सरकार ने नई नीति में औद्योगिक पार्क विकसित करने पर जोर दिया है। अब औद्योगिक पार्क के लिए परियोजना लागत की 50 प्रतिशत की वित्तीय सहायता (अधिकतम 40 करोड़ रूपए तक), 80 प्रतिशत तक स्टाम्प ड्यूटी वापसी और औद्योगिक आवास और शयनगृह बनाने के लिए 50 प्रतिशत (अधिकतम 50 लाख रूपए तक) वित्तीय सहायता दी जाएगी। उन्होंने बताया कि युवाओं को विभिन्न स्किल्स में निपुण करने के लिए उद्यम विकास कार्यक्रम भी बनाया गया है जिसके तहत सरकारी विश्वविद्यालयों, एनआईटी, आईआईटी और तकनीकी संस्थाओं को प्रति वर्ष पांच लाख रूपए की वित्तीय सहायता दी जाएगी। प्रदेश के युवाओं को व्यवहार-कुशल बनाने के लिए आईटीआई और कालेजों में अगले शैक्षणिक सत्र से तीन माह का सटिफिकेट कोर्स भी कराया जाएगा। यही नहीं राज्य के युवाओं को रोजगार देने पर उद्योगों को हर साल 48000 रूपए प्रति कर्मचारी सरकार की ओर से दिए जाएंगे।
रमेश2004वार्ता
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