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बिजली बिल मसौदे को अंतिम रूप देने में उपभोक्ताओं, कर्मचारियों की हुई अनदेखी:फेडरेशन

जालंधर, 23 फरवरी (वार्ता) ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने कहा है कि बिजली मंत्रालय द्वारा बिजली (संशोधन) विधेयक 2021 के मसौदे को अंतिम रूप देते समय बिजली उपभोक्ताओं और बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की अनदेखी की जा रही है।
एआईपीईएफ के प्रवक्ता वी के गुप्ता ने मंगलवार को बताया कि फेडरेशन ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि मंत्रालय ने बिजली (संशोधन) विधेयक 2021 को राज्य और यूटी पावर सेक्रेटरीज के एक सीमित समूह को भेज दिया है और दो सप्ताह में उनकी टिप्पणी भेजने को कहा है। विधेयक 2021 में वितरण लाइसेंस की प्रक्रिया को प्रस्तावित वितरण पंजीकरण से बदलने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि 17 फरवरी को केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह की वर्चुअल मीटिंग में भाजपा शासित राज्यों समेत कई राज्यों ने बिजली (संशोधन) बिल 2021 के ड्राफ्ट के कई क्लॉज का विरोध किया है।
श्री गुप्ता ने कहा कि ऐसा लगता है कि ऊर्जा मंत्रालय के लिए केवल नौकरशाह और बड़े औद्योगिक घराने ही हितधारक हैं। तेलंगाना सरकार ने वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) में निजीकरण के एक बड़े कदम के हिस्से के रूप में प्रस्तावित बिजली क्षेत्र में फ्रेंचाइजी प्रणाली लागू करने से इनकार किया है। प्रदेश सरकार बिजली वितरण के निजीकरण के खिलाफ है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख ने यह रुख अपनाया है कि भौगोलिक कठिनाइयों के कारण निजीकरण संभव नहीं है। इसके अलावा जिन जिलों में औद्योगिक बेल्ट स्थित हैं, उनमें निजी क्षेत्र द्वारा कार्यभार ग्रहण किया जाएगा। शेष क्षेत्रों के साथ डिस्कॉम के राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और वे अपने कर्मचारियों के वेतन और पेंशन लाभ का भुगतान नहीं कर पाएंगे।
पदमजीत सिंह मुख्य संरक्षक एआईपीईएफ ने कहा कि प्रयास (ऊर्जा) समूह पुणे द्वारा किए गए अध्ययन से पता चलता है कि मुंबई में समानांतर लाइसेंसिंग के संचालन के परिणाम उम्मीद के विपरीत रहे हैं, क्योंकि यह अनावश्यक मुकदमों, आसमान छूते खर्चों, भारी उपभोक्ता टैरिफ और नियामक विफलता की एक श्रृंखला के साथ हुआ है। यह उजागर करता है कि मुंबई में प्रतिस्पर्धा कैसे विफल रही है और उपभोक्ताओं को कैसे नुकसान उठाना पड़ा है। उन्होने कहा कि जब मुंबई में प्रयोग विफल हो गया है तो भारत में कहीं और सफल होने की उम्मीद नहीं की जा सकती। मुंबई के साथ-साथ ओडिशा, दिल्ली और अन्य राज्यों/शहरों जैसे अन्य क्षेत्रों में निजीकरण की प्रक्रिया को वापस लेने का एक मजबूत मामला है
एआईपीईएफ की मांग है कि इस बिल को बिजली मंत्रालयों की वेबसाइट पर डाला जाए और उसके बाद बिल 2021 के मसौदे को अंतिम रूप देने से पहले बिजली उपभोक्ताओं, बिजली कर्मचारियों, इंजीनियरों सहित सभी हितधारकों की टिप्पणियों पर विचार किया जाना चाहिए।
ठाकुर.श्रवण
वार्ता
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