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सरकार बिजली वितरण का निजीकरण बंद करें: एआईपीईएफ

जालंधर 15 अप्रैल (वार्ता) सरकार को बिजली वितरण के निजीकरण पर रोक लगानी चाहिए और केंद्र शासित प्रदेशों के बिजली विभागों को निजी उद्यमों को सौंपना बंद करना चाहिए।
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) के प्रवक्ता विनोद गुप्ता ने कहा कि न तो संशोधन विधेयक 2021 के मसौदे को अंतिम रूप दिया गया है और न ही मानक बोली दस्तावेज को अंतिम रूप दिया गया है लेकिन चंडीगढ़ और दादरा नगर हवेली केंद्र शासित प्रदेश अपने बिजली विभागों के निजीकरण की दिशा में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
श्री गुप्ता ने कहा कि बिजली वितरण के निजीकरण के लिए मानक बोली दस्तावेजों को 22 सितंबर 2020 को मंत्रालय की वेबसाइट पर रखा गया था और पूरे देश में लागू किया जाना था। अब ऊर्जा मंत्रालय ने आरटीआई के उत्तर में कहा है कि एसबीडी को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है। यह केंद्र की पूरी बोली प्रक्रिया पर प्रश्नचिह्न लगाता है। चंडीगढ़ में जहां बोली 100 फीसदी इक्विटी के लिए थी, वहीं दादरा नगर हवेली में यह 51 फीसदी के लिए थी। इस प्रक्रिया को अधिक करने में भ्रम और अनिश्चितता है।
एआईपीईएफ के मुख्य संरक्षक पदमजीत सिंह ने बताया कि दादरा नगर हवेली के मामले में बोलियां खोली गई थीं और धार ने 150 लाख रुपये के रिजर्व प्राइस के एवज में सबसे ज्यादा 555 लाख रुपये के ऑफर के साथ बोली जीतने का दावा किया था। मुम्बई उच्च न्यायालय ने अपने समक्ष दायर जनहित याचिका के मामले में आगे की प्रक्रिया पर रोक लगा दी। केन्द्रशासित चंडीगढ़ के मामले में 18 मार्च को टेक्निकल बिड खोली गई थी लेकिन फाइनेंशियल बिड खुलने का इंतजार है। यहां भी यूटी पावरमैन यूनियन ने पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष बोली लगाने को चुनौती दी थी और इसकी सुनवाई 29 अप्रैल को है।
श्री सिंह ने कहा कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने केंद्र शासित प्रदेश विद्युत वितरण के निजीकरण का मार्गदर्शन करने और उसे चलाने के लिए सचिव विद्युत की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय संचालन समिति का गठन किया है।केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में एक और समिति का गठन किया है क्योंकि सभी केंद्र शासित प्रदेश गृह मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में हैं।
श्री गुप्ता ने कहा कि संशोधन विधेयक 2021 का मसौदा फरवरी में चयनित चंद को परिचालित किया गया है और केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने सभी राज्यों के बिजली सचिवों और डिस्कॉम एवं नियामकों के अध्यक्ष एवं प्रबंधन निदेशक (सीएमडी) के साथ प्रस्तावों पर चर्चा की। ऊर्जा मंत्री ने दावा किया है कि डिस्कॉम की अक्षमता उसके एकाधिकार का परिणाम है और सरकार प्रतिस्पर्धा से अपने एकाधिकार को बदलना चाहती है और इसलिए बिजली क्षेत्र में सुधार या आवश्यक है । समझ में नहीं आ रहा है कि किसी निजी खिलाड़ी को बिजली विभाग का तबादला कैसे प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करेगा। इससे दीर्घकाल में उपभोक्ताओं और करदाताओं का शोषण होगा।
ठाकुर, उप्रेती
वार्ता
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