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पंजाब तथा हरियाणा के किसानों को पराली जलाने का विकल्प तलाशने के लिये प्रशिक्षण

चंडीगढ़ ,11 अक्तूबर (वार्ता) पंजाब तथा हरियाणा के पचास हजार किसानों को पराली जलाने के लाभकारी विकल्प तलाशने के लिये प्रशिक्षण तथा समर्थन दिया जायेगा ।
एक सोशल एंटरप्राइज रूट्स फाउंडेशन पंजाब तथा हरियाणा में किसानों के जमीनी स्तर पर काम कर रहा है ताकि किसानों को फसल के अवशेष के निपटान के वैकल्पिक तरीके के प्रति प्रशिक्षित किया जा सके । फाउंडेशन की आज यहां जारी विज्ञप्ति के अनुसार कार्यक्रम का लक्ष्य अगले तीन माह में दोनों राज्यों के लगभग पचास हजार किसानों को प्रशिक्षण देने के साथ उन्हें समर्थन दिया जायेगा ।
फाउंडेशन के अनुसार देश भर में फसल अवशेष अथवा पराली जलाने से उत्तर क्षेत्र के राज्यों में वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के लिये गंभीर खतरा पैदा करता है । पराली जलाने के मामले पंजाब तथा हरियाणा में सबसे ज्यादा हैं। किसानों के पास कचरे के प्रबंधन की तकनीक या संसाधनों की कमी के कारण ये घटनायें बढ़ी हैंं । किसानों को प्रशिक्षित करने कि लिये सामाजिक उद्यम द्वारा तीन माह का एक व्यापक कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य किसानों को विकल्प के ताैर पर प्रशिक्षण देना है।
जानकारी के अनुसार ठंड के मौसम में मध्यप्रदेश ,पंजाब ,हरियाणा में तीस लाख टन से अधिक फसल के अवशेष जलाने से प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ता है। अकेले पंजाब में हर साल बीस लाख टन धान की पराली से अस्सी फीसदी पराली को खेत में ही जलाया जाता है। प्रदूषण का स्तर एक हजार पीएम तक बढ़ जाता है। दिल्ली का पीएम दो दशमलव पांच स्तर तो विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा निर्देश से पंद्रह गुना अधिक है।
फाउंडेशन के संस्थापक रित्विक बहु्गुणा और पार्टनर वजीर एडवायजर्स ने पत्रकारों को बताया कि हमारा लक्ष्य पराली जलाने की समस्या को दूर करने के लिये विभिन्न टेक्नालाजी हस्तक्षेप ,सरकारी योजनाओं और सब्सिडी के बारे में जागरूकता पैदा करना और किसानों को कचरा नष्ट करने के वैकल्पिक तरीकों से प्रशिक्षित करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाना है।
शर्मा
वार्ता
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