जयपुर 25 जनवरी (वार्ता) राजस्थान विधानसभा में राज्य सरकार ने आज नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) एवं रार्ष्टीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के खिलाफ संकल्प प्रस्ताव पेश किया।
संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने इसे सदन में पेश किया। संकल्प प्रस्ताव पेश करते ही विपक्ष भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस पर आपत्ति जताई। इसके बाद भाजपा सदस्य वेल में आ गये और संकल्प प्रस्ताव के खिलाफ नारेबाजी करना शुरु कर दी। भाजपा सदस्यों ने वेल में नागरिकता कानून लागू करो, लागू करो तथा भारत माता के नारे लगाये।
संकल्प प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए श्री धारीवाल ने इसके बारे में बताया कि कि सीएए संविधान के उपबंधों का उल्लंघन करता है। इसलिए नागरिकता प्रदान करने में धर्म के आधार पर किसी विभेद से बचने के लिए और भारत में समस्त धार्मिक समूहों के लिए विधि के समक्ष समता को सुनिश्चित करने के लिए यह सदन केन्द्र सरकार से नागरिकता संशोधन अधिनियम को निरसित करने के लिए आग्रह करने का संकल्प करता है।
उन्होंने बताया कि देश के एक बड़े वर्ग में आशंका है कि एनपीआर और एनआरसी की प्रस्तावना एक ही है।नागरिकता संशोधन अधिनियम के माध्यम से हाल में किए गए संशोधन धार्मिक आधार पर लोगों में विभेद करते हैं जो व्यक्तियों के एक वर्ग को भारत की नागरिकता से वंचित करने के लिए बनाए गए हैं।
इसके अलावा देश में रह रहे सभी लोगों से चाही जाने वाली प्रस्तावित अतिरिक्त सूचना से बड़े पैमाने पर जनसंख्या को बड़ी असुविधा होने की संभावना है। जिसका कोई वास्तविक लाभ नहीं होगा। असम राज्य इसका जीवंत उदाहरण है। इसलिए यह सदन केंद्र सरकार से यह आग्रह करने का भी संकल्प करता है कि उसे सीएए को प्रतिसंह्रत करने साथ लोगों के मन में ऐसी आशंकाओं को दूर किया जाये, ऐसी नई सूचनाओं, जिन्हें एनपीआर 2020 में अद्यतन करने के लिए चाहा गया है, को भी वापस लेना चाहिए। उसके पश्चात ही एनपीआर के अधीन गणना करने का कार्य हाथ में लेना चाहिए।
जोरा
वार्ता